किसी को याद करने की कोशिश में लगा हूँ मैं ,
पर वो कौन है ? ये भी भूल गया हूँ मैं ।
उसी की चाह में, दर दर भटक रहा हूँ मैं,
पर उसे पाने में कहाँ अटक रहा हूँ मैं ।
अब उसे याद करने में कोई तो करे मेरी मदद,
क्योंकि उसे याद करते जमाना हो गया एक अदद ।
अब मुझे उसकी कोई तो निशानी दे दो,
उसे याद करते - करते बूढा हो गया हूँ मैं, अब तो कोई मेरी जवानी दे दो ।
फिर भी मेरी तरफ से कोशिश जारी है,
मदद की है मैंने बहुत अपनी, अब तुम्हारी बारी है।
दुआ करो की वो मुझे याद आ जाए,
आज नहीं तो कल आ जाए ।
गर कभी याद आया मुझे, तो मैं तुम्हे जरूर बताऊँगा,
और कभी मिल सका उससे, तो मैं तुम्हे भी मिलवाऊँगा ।
महेश बारमाटे
6 May 2008
11:30 am
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