शनिवार, 30 मार्च 2013

आज की नारी... (Today's Modern Girls)


दोस्तों !
आज जो कविता मैं पेश करने जा रहा हूँ, वह केवल एक व्यंग्य मात्र है, कृपया मेरी रचना को अन्यथा न लें... और अगर आपको इसे पढ़ने के बाद बुरा लगे तो मुझे छोटा भाई समझ के माफ कर देवें । :)

बुधवार, 27 मार्च 2013

इस होली में... (Happy Holi)


दोस्तों ! इस साल मैं होली अपने शहर में नहीं मना रहा, इसीलिए आज मैं अपने उन दोस्तों को बहुत याद कर रहा हूँ, जिनके संग हमेशा मैं होली खेला करता था। आज मेरी ये कविता, मेरे उन्हीं दोस्तों के नाम - 

शनिवार, 16 मार्च 2013

कोई तो है...

मुझे परेशां करने का
हर रोज वो रास्ता ढूँढ लेते हैं।
मैं छुप जाता हूँ अंधेरों में अक्सर,
फिर भी जाने किससे
वो मेरा पता पूछ लेते हैं।

कभी उनकी आवाज मुझे सताया करती थी,
आज ख़ामोशी से अपनी,
वो मेरा सीना चीर लेते हैं।

मैं कुछ भी नहीं बिन तेरे
इस जहां में माही !
फिर भी
"कोई तो है"....
ये कह के वो मुझसे मेरा
वजूद भी छीन लेते हैं ...

- महेश बारमाटे "माही"