सोमवार, 28 दिसंबर 2009

सिर्फ मौत चाहता हूँ मैं.....

आज मैं सिर्फ मौत चाहता हूँ............,
क्योंकि तेरे बिन अब मैं जी नहीं सकता,
जानता हूँ के जो मैं चाहता हूँ, वह मुझे मिल नहीं सकता,
इसलिए अब मैं सिर्फ मौत चाहता हूँ ....

घुट - घुट के जीना मुझे पसंद नहीं,
और किसी की याद में जिंदगी गुजार देना मेरी फितरत नहीं
तेरे मुंह से "न" मैं सुन नहीं सकता, और प्यार में हार कर मैं जी नहीं सकता,
इसलिए अब मैं सिर्फ मौत चाहता हूँ....

चाहता हूँ के मेरी मौत तेरी ही बाहों में ही हो,
मिले थे पहली बार हम जहाँ, मेरी मौत बस उन्हीं राहों में ही हो
पर मरने से पहले मैं तुझे बता देना चाहता हूँ...,
के मैं मौत से ज्यादा तुझे चाहता हूँ .... ,
पर अब मैं सिर्फ मौत चाहता हूँ ...

ये एक राज़ ही रहेगा..., के आखिर क्या कारण है,
आखिर मरने का ही क्यों मेरा मन है ?
बस उसी कारण के लिए मैं तुझे तडपाना चाहता हूँ...,
और अपने लिए मैं सिर्फ मौत चाहता हूँ ....

बस मौत....
चाहता हूँ मैं......
सिर्फ और सिर्फ......
मौत चाहता हूँ मैं .....


महेश बारमाटे
27th March 2008, 1:00 am

2 टिप्‍पणियां:

  1. kyuuu mahesh maut jab aani hai tab aayegi bhai khaali peeli apni zindagi ko tu yu barbaad na kar abhi bhi apno ko tumhari zaroorat hai unkey liye ji na ki unkey liye jo tera khayal nahi kartey :)

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  2. hey... i wrote this poem wen i was getting bored in a period.. the teacher was very boring... lolz thts y i wrote this poem...

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