मंगलवार, 27 सितंबर 2011

वो एहसास...

पहले हम दोस्त बने,
और फिर
कुछ दिन बाद,
हमारी दोस्ती...
दोस्ती से भी बढ़ कर हो गई...

वो एहसास...
न तो दोस्ती थी
और न ही प्यार था...
वो जो कुछ भी था
शायद हमारी किस्मत को नागवार था...

के अब दरमियाँ हमारे,
न तो दोस्ती रही
और न ही प्यार...
और न ही रहा अब
दोस्ती से भी बढ़कर कुछ और...

रविवार, 18 सितंबर 2011

इक नई सरगम...

सुबह की पहली किरण का आगाज,
देखो ले के आया है एक नया दिन, एक नया आज।

वो देखो चली आ रही है ठंडी पुरवाई,
के लगता है जैसे इसने रात के संग होली हो मनाई।

पंछियों का ये सुरम्य संगीत,
पल भर में हर किसी को बना ले ये अपना मीत।

शनिवार, 10 सितंबर 2011

वो... मुझसे पूछा करती थी...

वो हर सुबह मुझसे 
मेरा ख्वाब पूछा करती थी...
कैसा था वो बीती रात का 
बादलों के पीछे छिपता महताब पूछा करती थी...।