मेरा ख्वाब पूछा करती थी...
कैसा था वो बीती रात का
बादलों के पीछे छिपता महताब पूछा करती थी...।
उसकी आँखों में था मय का सागर,
और वो आँखों ही आँखों मे मुझसे ज़ाम पूछा करती थी।
वो कहती थी के तुम्हें भुला न पाऊँगी कभी,
पर हर मुलाक़ात में मेरा नाम पूछा करती थी।
उसकी ज़िंदगी में थी कुछ तो कमी,
के हर रोज मुझसे मेरी खैरियत की बात पूछा करती थी।
जानती थी कि तन्हा गुजरती हैं मेरी भी रातें,
फिर भी मुझसे "किसी की याद" में गुजरी हर तन्हा रात पूछा करती थी।
अक्सर वो अनजान तन्हा रास्तों में,
बैठी घंटों जाने क्या सोचा करती थी।
इतने सवाल थे उसके मन में,
के कैसे बताऊँ तुम्हें के वो क्या क्या पूछा करती थी।
अपने इन सवालों मे गुम,
वो हूर, वो मासूम...
मुझसे सारी धरती - ओ - आकाश पूछा करती थी।
कहती थी के इश्क न करना, कभी किसी से,
और वो खुद मुझसे इश्क का एहसास पूछा करती थी।
कैसा देता मैं जवाब, उस लाजवाब को,
जो मुझसे जवाबों के भी जवाब पूछा करती थी।
अब जब वो होने लगी थी
मेरे ख्वाबों मे शामिल...
तब वो मुझसे मेरा कोई तन्हा ख्वाब पूछा करती थी।
पर एक दिन जाने खो गई वो कहाँ,
जो हर पल मुझसे मेरा प्यार पूछा करती थी।
के आज भी ढूंढ रहा हूँ मैं तुझको,
कहने को दिल की हर वो बात,
तू जिसका इज़हार पूछा करती थी।
के अब भी इक आस बाकी है
तुझसे फिर मिलने की, दिल की प्यास बाकी है।
करूंगा अब शायद अपने इश्क का इज़हार,
अब तो बस आसमानों में...
के ओ मेरे माही !
के तेरी जुदाई से,
मेरी ज़िन्दगी में भी अब चंद सांस बाकी है...
- महेश बारमाटे "माही"
8 Sept. 2011
aap ki har aak kavitha muje aacha lagtha hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar hai
बहुत ही सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....कभी समय मिले तो आयेगा मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
@विद्या जी : ये तो आपका बड़प्पन है... आपको मेरी कवितायें पसंद आती हैं उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
जवाब देंहटाएं@सुरेश व सागर जी : आप दोनों का भी बहुत बहुत शुक्रिया...
@पल्लवी जी : आपके ब्लॉग पे बहुत जल्द आऊँगा... बस इंतज़ार करिए... :)
के अब भी एक आस बाकि है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
बहुत प्यारी रचना।
जवाब देंहटाएं------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
भावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंस्वागत है.
सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबधाई...
बहुत ही बढ़िया सर।
जवाब देंहटाएं------
आपकी पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
बहुत खूबसूरत भाव हैं इस रचना के .. आस बाकी रहनी चाहिए
जवाब देंहटाएंअति सुंदर अभिव्यक्ति है भावनाओं की ,कोमल मखमली अहसास प्यार के होने न होने का .
जवाब देंहटाएंuf .......aapne to hamare dil ke bhavon ko chhoo liya .........mohabbat ki ek sundar dastan gadh di..........behtreen bhaavon ka sundar samanvay.
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar.....pahli baar aapke blog par aai achha lga..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण व मार्मिक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअनुपम प्रस्तुति के लिए आभार................................
सुन्दर....
जवाब देंहटाएंनिशा जी, ज़ाकिर अली जी, अमरेन्द्र जी, सुषमा जी, विजयकान्त जी, संगीता, संगीता जी, हबीब जी, ललित जी : आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद... :)
जवाब देंहटाएं@ सुमन "मीत" जी : मेरे ब्लॉग पे पहली दफा आने का बहुत बहुत शुक्रिया... भगवान करे कि इसी तरह आप मेरे ब्लॉग पे आते रहें॥ आपका बहुत बहुत शुक्रिया... :)
@वंदना जी : मेरी रचना ने आपके दिल को छू लिया, मतलब मेरी मेहनत सफल हुई... आपका आना ही मेरे ब्लॉग पे चार चाँद लगा गया... आपका बहुत बहुत शुक्रिया... :)