बुधवार, 3 जनवरी 2018

ताबीज़



काश मैं तेरा वो ताबीज होता
तो तेरे दिल के पास हरदम होता।

कभी यूँ ही तेरे हाथों में
कभी दुआ के लिए लबों पे होता
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

तुझे भी मुझपे विश्वास होता
जब जब कुछ अच्छा या बुरा होता।
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

बड़ा सहेज के रखती तुम
के मैं तेरे लिए बहुत अहम होता
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

तू जहाँ भी होती
मैं भी बस वहीं होता
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

तेरी हर मन्नत को पूरा करता
तेरे लिए हर खतरे से लड़ता
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

तुम पूजती मुझे
और मैं बस बदले में दुआएं देता
काश!
मैं तेरा ताबीज होता।

तेरे संग संग रहता
तेरी हर बलाएँ सहता,
कभी उफ्फ भी न करता
के मैं तो तेरे गले में बंधा रहता।

काश!
मैं तेरा ताबीज होता।


महेश बारमाटे 'माही'
3/01/18
5:23 pm

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