एक अजीब कश्मकश में हूँ
आज खुद के लिए ही कुछ खास मैं हूँ।
के कुछ गलतफहमियां
जो थी दरमियान हमारे
ख़त्म हो गईं
ख़त्म हुए फासले
पर दूर न हुई ये दूरियां।
तुझसे
शायद खुद से
बात करने को
बेताब मैं
आज कुछ यूँ मचल रहा हूँ
बिन पानी कोई मछली जैसे
उड़ने को बेताब
मेरा हर एक ख्वाब
पर न नींद है
न चैन है
जाने क्यों
दिल ये बेचैन है??
#माही
अच्छी है ।
जवाब देंहटाएं