वो मेरा इंतज़ार करने लगे हैं
कुछ – कुछ मुझसे इक़रार करने लगे हैं
यूं तो कभी न हुई कोई मुलाक़ात हमारी
पर अब वो ख्वाबों में मेरा दीदार करने लगे हैं।
बस जानते हैं
एक – दूजे को हम,
पर पूरी तरह से नहीं।
फिर भी मेरी अनजान शख्सियत पे
वो अब एतबार करने लगे हैं
मेरी पसंद – न – पसंद तो
रब जानता है मेरा।
पर अपनी पसंद का वो अब
सरे – आम इज़हार करने लगे हैं।
कुछ – कुछ मुझसे इक़रार करने लगे हैं
यूं तो कभी न हुई कोई मुलाक़ात हमारी
पर अब वो ख्वाबों में मेरा दीदार करने लगे हैं।
बस जानते हैं
एक – दूजे को हम,
पर पूरी तरह से नहीं।
फिर भी मेरी अनजान शख्सियत पे
वो अब एतबार करने लगे हैं
मेरी पसंद – न – पसंद तो
रब जानता है मेरा।
पर अपनी पसंद का वो अब
सरे – आम इज़हार करने लगे हैं।
हर पल बदलती अदा ये उनकी
मेरी सोच मे दस्तक देती है
के अब क्या कहूँ इसे मैं माही!
क्या वो मुझसे प्यार...
करने लगे हैं ???
- महेश बारमाटे "माही"
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