आज...
लिख रहा हूँ...
हाँ ! मैं फिर लिख रहा हूँ...
पर क्यों ?
क्यों छोड़ा था मैंने...
लिखना...?
क्या...?
भूल गया था मैं...
खुद से ही कुछ...
सीखना...?
जाने कितने...
मंज़र बीत गए...
और दिल को कितने...
खंजर चीर गए... ?
फिर भी क्यों...?
हाँ... हाँ क्यों...?
मैं कुछ लिख न पाया...?
देख के कई... सपने...
मैं खुद सपनों सा क्यों,
दिख न पाया... ?
देखो आज फिर,
लिख रहा हूँ...
फिर एक नई शुरुआत करना
सीख रहा हूँ...
हाँ!
हाँ! आज मैं कुछ...
लिख रहा हूँ...
माही !
लिख रहा हूँ न ? ...
इंजी० महेश बारमाटे "माही"
9 Oct 2012
10:35 pm
लिख रहा हूँ...
हाँ ! मैं फिर लिख रहा हूँ...
पर क्यों ?
क्यों छोड़ा था मैंने...
लिखना...?
क्या...?
भूल गया था मैं...
खुद से ही कुछ...
सीखना...?
जाने कितने...
मंज़र बीत गए...
और दिल को कितने...
खंजर चीर गए... ?
फिर भी क्यों...?
हाँ... हाँ क्यों...?
मैं कुछ लिख न पाया...?
देख के कई... सपने...
मैं खुद सपनों सा क्यों,
दिख न पाया... ?
देखो आज फिर,
लिख रहा हूँ...
फिर एक नई शुरुआत करना
सीख रहा हूँ...
हाँ!
हाँ! आज मैं कुछ...
लिख रहा हूँ...
माही !
लिख रहा हूँ न ? ...
इंजी० महेश बारमाटे "माही"
9 Oct 2012
10:35 pm
यूँ हिन् लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंबस इसी प्रकार लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति , ऐसे ही लिखते रहिये ******बधाई
जवाब देंहटाएंलिखते रहो आप...:)
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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