आज बहुत दिनों बाद मेरी कलम से कुछ शब्द दिल की आवाज को बयान करते मिले हैं... उम्मीद है आपको पसंद आएगी...।
वो कुछ ख़ास है...
वो दूर है,
और वो पास भी...
वो कुछ नहीं है,
पर वो ख़ास भी...
सोचता हूँ उसे,
और मानता हूँ उसे...
वो अगले कई जन्मों की तलाश है,
और वो एक प्यास भी...
रोता हूँ उसके लिए,
और हँसता हूँ मैं संग उसके...
उससे इन्कार है मुझे
और उससे प्यार भी...
वो है मेरी ज़िंदगी का हर एक लम्हा,
फिर भी हूँ मैं अब तक तन्हा...
उसकी राहे-मंजिल हूँ मैं,
और वो मेरा साहिल भी...।
हूँ बेवफा मैं, बस उसके लिए...
और निभाई है वफा, शायद बस खुद के लिए...
तू मेरी जीत का आगाज है माही !
और दिल की हार का साज भी...
तू दूर है...
और पास भी...
तू कुछ नहीं....
पर ख़ास भी...
- महेश बारमाटे "माही"
28 सितंबर 2012
कल 30/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंमनभावन..
:-)
धन्यवाद रीना जी :)
हटाएंबहुत खास का एहसास कराती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी :)
हटाएंबेहद सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी
हटाएंbahut hi sundar rachna
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सोमाली जी... :)
हटाएंसुंदर प्रेममय रचना | पहली बार आपके ब्लॉग में आना अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंइस समूहिक ब्लॉग में पधारें और हुमसे जुड़ें |
काव्य का संसार
behtareen... dil me utarne layak:)
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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