तेरी रातों का आलम हूँ मैं,
तेरी ज़िन्दगी के सातों जनम हूँ मैं...
मैं तो हूँ तेरी जुल्फों को सहलाती ठंडी हवा,
और तेरे बदन को भिगोता सावन हूँ मैं...
खुशबु तेरे बदन की,
मुझसे ही फ़ैल रही है फिज़ा में...
आजा ओ मेरी दिलरुबा !
छुपा लूं तुझे आगोश में अपनी...
के तेरा दिलबर, तेरा साजन हूँ मैं...
वो तेरे लबों की सुर्ख लाली,
वो तेरी जुल्फों की घटाएं काली - काली,
और वो तेरे मस्त नैनों की अदा मतवाली...
के मैं तो हूँ तेरा वक़्त और तेरा हमदम हूँ मैं...
वो तेरा शबाब-ए-हुस्न,
और तेरा महकता जिस्म,
मैं तो हूँ तेरी रग - रग में शामिल,
के तेरी मांग को सजाता कुमकुम हूँ मैं...
वो तेरा अदा से आँखें झुकाना,
और तेरा लातों को अपनी उँगलियों से खेलना और इतराना...
कभी तेरा शर्म से भी ज्यादा शर्माना...
तो कभी तेरी हया का दामन हूँ मैं...
वो तेरा बात - बात पे मुस्काना,
मुझसे बात करते वक़्त किसी की आहट से तेरा सहम जाना...
मैं तो हूँ तेरे लबों पे रूकती हर बात,
कभी उलफ़त-ए-शमा में मरता परवाना,
तो कभी जन्मों से तेरी उलफ़त में जीता तेरा "माही"...
तेरा जानम हूँ मैं...
- महेश बारमाटे "माही"
तेरी ज़िन्दगी के सातों जनम हूँ मैं...
मैं तो हूँ तेरी जुल्फों को सहलाती ठंडी हवा,
और तेरे बदन को भिगोता सावन हूँ मैं...
खुशबु तेरे बदन की,
मुझसे ही फ़ैल रही है फिज़ा में...
आजा ओ मेरी दिलरुबा !
छुपा लूं तुझे आगोश में अपनी...
के तेरा दिलबर, तेरा साजन हूँ मैं...
वो तेरे लबों की सुर्ख लाली,
वो तेरी जुल्फों की घटाएं काली - काली,
और वो तेरे मस्त नैनों की अदा मतवाली...
के मैं तो हूँ तेरा वक़्त और तेरा हमदम हूँ मैं...
वो तेरा शबाब-ए-हुस्न,
और तेरा महकता जिस्म,
मैं तो हूँ तेरी रग - रग में शामिल,
के तेरी मांग को सजाता कुमकुम हूँ मैं...
वो तेरा अदा से आँखें झुकाना,
और तेरा लातों को अपनी उँगलियों से खेलना और इतराना...
कभी तेरा शर्म से भी ज्यादा शर्माना...
तो कभी तेरी हया का दामन हूँ मैं...
वो तेरा बात - बात पे मुस्काना,
मुझसे बात करते वक़्त किसी की आहट से तेरा सहम जाना...
मैं तो हूँ तेरे लबों पे रूकती हर बात,
कभी उलफ़त-ए-शमा में मरता परवाना,
तो कभी जन्मों से तेरी उलफ़त में जीता तेरा "माही"...
तेरा जानम हूँ मैं...
- महेश बारमाटे "माही"
aye haye aaj kal mausam baharo ka hai....chalo badla to sahi
जवाब देंहटाएंvery nice......gd imotions:)
जवाब देंहटाएंअरे वाह! क्या बात है! इतना सब कुछ हैं आप एक साथ ग़ज़ब
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंWow...Awsom...Romantc,..<3
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंsundar bhavon se saji khubsurat abhivyakti ...samay mile kabhi to aaiyegaa meri post par aapka svagat hai
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
@ सखी जी, सत्यम जी, सृजना जी, समीर जी, चन्द्र भूषण जी तथा पल्लवी जी : आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद... :))
जवाब देंहटाएंSunder bhavo se saji sunder rachna .badhai
जवाब देंहटाएंप्रेम उन्मुक्त हो के बह रहा है जैसे ... लाजवाब कविता ...
जवाब देंहटाएंप्रेम रस में डूबी रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमरेन्द्र जी, अनु जी और दिगंबर जी... :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!अशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद निर्मला जी :)
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