रविवार, 26 जून 2011

वो गए, दिल गया...

नज़रें मिला के वो दिल चुरा के ले गए,
दिल बहला के वो हमको अपना बना के ले गए,
पर वो जो गए, तो भी गम न किया हमने कभी, 
के अब कि बार वो दिल हमारा अपना बना के ले गए...

वो गए, दिल गया...
फिर भी उनकी यादों यादों के सहारे हम जीते चले गए,
बिताये जो लम्हे संग उनके हमनें,
वो सारे पल भी वो अपना बना के ले गए...

वो मेरी हर बात पे उनका मुस्काना, 
मेरी शायरियों को हर दम अपने होंठो से गुनगुनाना,
कभी रूठना उनका तो कभी मेरा मनाना,
वो ज़िन्दगी के हर पन्ने को इक याद बना के चले गए...

वो बीता हुआ कल,
उनके संग बीता मेरा हर एक पल,
आज भी लिख रहा हूँ मैं कागजों पर,
के वो दिल में मेरे, अपनी धाक बना के चले गए...

वो उनकी दोस्ती में जी उठना,
और दोस्त की खातिर कुछ कर गुजरना...
कॉलेज का हर एक दिन,
वो मेरे लिए ख़ास बना के चले गए...

वो दोस्ती का हर एक पल,
कुछ इस तारा जीया मैंने, अपना वो कल...
के रहेगी दोस्ती हमारी सदा अमर,
वो दिल में मेरे ये विश्वास बना के चले गए...

- महेश बारमाटे "माही"
8th April 2011
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------

यह कविता मेरे सारे कॉलेज फ्रेंड्स को समर्पित है, आज वे यहाँ नहीं हैं, सभी अपनी अपनी निजी ज़िन्दगी में मशगूल हो गए हैं, पर कोई है जो आज भी उन्हें तहे-दिल से याद करता है... चाहे वे कितने भी दूर क्यूँ न चले जाएँ, पर यादें उनकी मुझे हर पल उसके पास ही रखती हैं...  यह मेरे इस ब्लॉग की पचासवीं कविता (पोस्ट) है और इस ख़ुशी के मौके पे मैं अपने सभी दोस्तों की कमी महसूस कर रहा हूँ क्योंकि आज जो भी हूँ उन्ही की बदौलत हूँ, अगर वे न होते तो शायद मैं आज ब्लॉग जगत से और ब्लॉग जगत मुझसे अनभिज्ञ रहता... 
I miss you my friends...

16 टिप्‍पणियां:

  1. ५० वीं पोस्ट की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ...नियमित लिखें.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    लिखते रहिए!
    शून्य बढ़ता जाएगा!

    जवाब देंहटाएं
  3. नज़रें मिला के वो दिल चुरा के ले गए,
    दिल बहला के वो हमको अपना बना के ले गए,
    पर वो जो गए, तो भी गम न किया हमने कभी,
    ले अब कि बार वो दिल हमारा अपना बना के ले गए...

    वो गए, दिल गया...
    फिर भी उनकी यादों यादों के सहारे हम जीते चले गए,
    बिताये जो लम्हे संग उनके हमनें,
    वो सारे पल भी वो अपना बना के ले गए...

    bahut sunder maahi ji...likhte rahen..

    जवाब देंहटाएं
  4. यादों के झरोखे से सुन्दर कविता। 50वीं पोस्ट के लिये बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का... आपकी शुभकामनाओं से इस मुकाम तक तो मैं पहुँच ही गया... और बहुत जल्द ही और भी शून्य जोड़ता जाऊँगा... :)

    जवाब देंहटाएं
  6. दोस्ती को याद करती हुयी .. लाजवाब रचना है ..

    जवाब देंहटाएं
  7. अर्ध-शतक और वो भी ब्लॉग पोस्ट का -बहुत बहुत बधाई .अब हम सब भी आपके मित्र हैं .अच्छा लगा कि आप मित्रों को इतना स्नेह प्रदान करते है .आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. वो जिंदगी के हर पन्ने को एक याद बनाकर चले गए...

    बहुत बढ़िया...
    50वीं पोस्ट पर बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  9. धन्यवाद दिगंबर जी, शिखा जी, दिलबाग जी और वीणा जी...
    आपके प्रेम व सदभाव ने आज मुझे ये मुकाम दिलाया है...
    आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया...

    जवाब देंहटाएं
  10. धन्यवाद अनुपम जी !
    आपके ब्लॉग का अवलोकन कर रहा हूँ...

    आपकी विचार शैली बहुत उम्दा है...

    मेरे ब्लॉग पे आने का शुक्रिया...

    जवाब देंहटाएं
  11. कल 30/08/2011 को आपके दिल की बात नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  12. बेजोड़ रचना .....सुन्दर अहसास

    जवाब देंहटाएं
  13. यशवंत जी ! आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी रचना को अपने ब्लॉग पे शामिल किया...

    अना जी, संगीता जी और मृदुला जी आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद... :))

    जवाब देंहटाएं