निभाने का ये वादा,
आप करेंगे हमको याद जब - जब".
मुझको लगा उनकी ये बात, मेरी तकदीर बन गई.
मेरे दिल में भी उनकी एक सुन्दर तस्वीर बन गई.
पर न आये वो और न आया उनका कोई ख़त.
इतना होने के बाद भी, ये दिल कहता है के "रो मत".
क्योंकि मैं भूल गया था कि
"कुछ लोगों के लिए,
वादा तो बस वादा होता है.
इसमें उनके लिए सच कम
और झूठ ज्यादा होता है".
अब कहता हूँ दुनिया वालों से के
"करना न कभी किसी से तुम ऐसा वादा,
जिससे मिले ख़ुशी तुमको चाहे कम,
पर दर्द होगा उसको ज्यादा"...
महेश बारमाटे (माही)
१३ मई २००७
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएं@संजय भास्कर dhanyawad bhaskar ji ... :D
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