नज़रें मिला के वो, दिल चुरा के ले गए,
दिल बहला के वो, हम को अपने दिल में बसा के ले गए...
पर वो जो गए, तो भी गम न किया हमने कभी,
के अब कि बार वो मेरा दिल, अपना बना के ले गए...
वो गए, दिल गया,
फिर भी उनकी यादों के सहारे जीते चले गए...
बिताये जो लम्हें, संग उनके हमने,
वो सरे पल भी वो, सपना बना के ले गए...
वो मेरी हर बात पे उनका मुस्काना,
मेरी शायरियों को अपने होंठों से लगाना...
कभी रूठना और कभी मनाना,
वो ज़िन्दगी के हर पन्ने को, इक याद बना के चले गए...
वो बीता हुआ कल,
उनके संग बीता मेरा हर एक पल...
आज भी लिख रहा हूँ मैं कागजों पर,
के वो दिल में मेरे अपनी धाक बना के चले गए...
वो उनकी दोस्ती में जी उठना
और दोस्तों की खातिर कुछ कर जाना...
कॉलेज का हर एक दिन,
वो मेरे लिए ख़ास बना के चले गए...
दोस्ती का हर एक पल,
इस तरह जीया था मैंने, अपना वो कल,
के रहेगी हमारी दोस्ती सदा अमर "माही",
वो दिल में मेरे ये विश्वास बना के चले गए...
महेश बारमाटे "माही"
8th April 2011
awsom dear.....2 gud....:))
जवाब देंहटाएंAmU
awsom dear.....2 gud....:))
जवाब देंहटाएंAmU
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