तेरी याद
अपने दिल से अब मेरी बात भी नहीं करती...
शायद ज़िन्दगी में तुम्हारी, अब कोई और आ गया है,
इसीलिए अब तुम मुझसे बात नहीं करती...
तुमको तो पता है के जब तेरा दिल मुझे याद करता है,
तब वो मेरे दिल से बस तेरी ही बात करता है...
पर अब तो ये आलम है के तू अब मेरी यादों पे हाथ तक नहीं फेरती...
जानता हूँ के तुम मुझसे प्यार नहीं करती,
और शायद इस दोस्त का इंतज़ार भी नहीं करती...
पर क्या हुआ तेरे उन वादों का,
जिनके बगैर शायद न कभी मेरी ज़िन्दगी नहीं सँवरती...
कहते हैं - दोस्ती और प्यार का इम्तिहान एक जैसा होता है,
मुसीबत के वक़्त किया गया हर एहसान एक जैसा होता है...
आज जकड़ा गया है मुसाफिर, वक़्त की जंजीरों में फँसकर,
और एक तू है जिसने साथ चलने का वादा तो किया,
पर मुझे इस कैद से फ़रार नहीं करती...
जी करता है के आज तुझे कोई बददुआ दे दूँ,
फिर भी दिल में मेरे, तेरी ख़ातिर बस दुआएँ ही भरी हैं...
और गर दूँ भी तो कैसे दूँ तुझे मैं बददुआ कोई,
क्योंकि मेरी किस्मत कभी मेरी बददुआ किसी के लिए भी स्वीकार नहीं करती...
शायद तेरा मेरा साथ बस यहीं पे ख़त्म होना था...
मुझे आज नहीं तो कल तुझसे शायद ज़रूर जुदा होना था...
अब तो बस याद आयेंगे वो पल,
जब दूर होके भी तू मेरे करीब थी हर पल,
वो भी क्या दिन थे, जब तू मेरी किसी बात के लिए इन्कार नहीं थी करती...
आज बस यही दुआ है मेरी के तू खुश रहे सदा...
गर मिलती है हर ख़ुशी तुझे, होकर मुझसे जुदा...
आज आँखे मेरी, तेरी सदा सलामती की हैं दुआ करती,
क्योंकि गर मर भी जाऊं मैं, तो भी ऐ दोस्त ! दुनिया में दोस्ती कभी नहीं मरती...
महेश बारमाटे
27th July 2010