दोस्तों !
आज जो कविता मैं पेश करने जा रहा हूँ, वह केवल एक व्यंग्य मात्र है, कृपया मेरी रचना को अन्यथा न लें... और अगर आपको इसे पढ़ने के बाद बुरा लगे तो मुझे छोटा भाई समझ के माफ कर देवें । :)
दोस्तों ! इस साल मैं होली अपने शहर में नहीं मना रहा, इसीलिए आज मैं अपने उन दोस्तों को बहुत याद कर रहा हूँ, जिनके संग हमेशा मैं होली खेला करता था। आज मेरी ये कविता, मेरे उन्हीं दोस्तों के नाम -