रविवार, 18 मार्च 2012

दोस्ती और प्यार...


ऐ साजन मेरे !
जब तुम होते हो साथ मेरे...  
भूल जाता हूँ मैं सारा जहां,
हर शख्स, हर रिश्ता और हर दोस्त मेरा...
पर माफ कर देना तुम मुझे
के जब दोस्त हो कोई साथ मेरे
मैं तुझे कभी भूलता नहीं
पर उनका साथ आने देता नहीं
कभी तेरी याद
के दोस्ती और प्यार
होते हैं जैसे
इक़रार और एतबार...

शनिवार, 3 मार्च 2012

इंतज़ार...

इंतज़ार...

कभी - कभी कितना सुखद होता है
और कभी क्यों ये होता है दुःखद ...?

गर इश्क़ हो किसी से,
तो ये कीचड़ में खिलते कंवल सा होता है...
और कभी ये होता है केवल एक गहरा दलदल
गर हो ये कोई बस एक ज़रूरत...

कभी किसी के इंतज़ार में
हम बिता देते हैं कई सदियाँ
तो कभी कटता ही नहीं
एक और पल...