एक चाहत थी,
तुमसे मिलने की...
गर पूरी हो पाती तो...
एक चाहत थी,
तेरे संग कुछ वक़्त साथ बिताने की...
गर पूरी हो पाती तो...
तुमसे मिलने की...
गर पूरी हो पाती तो...
एक चाहत थी,
तेरे संग कुछ वक़्त साथ बिताने की...
गर पूरी हो पाती तो...
एक चाहत थी,
तेरे संग हंसने गाने की...
गर पूरी हो पाती तो...
एक चाहत थी,
तेरी हर ख़ुशी - ओ - गम में तेरा हर पल साथ निभाने की...
गर पूरी हो पाती तो...
एक चाहत थी,
बहुत कुछ समझने - समझाने की...
गर पूरी हो पाती तो...
और आज पूछ रही हो तुम,
के क्या चाहत है मेरी...
अब कैसे कहूँ तुमसे मैं...
के मेरी तो बस चाहत थी यही...
तेरे संग सातों जनम बिताने की...
बन के तेरा "माही"
तुझमें खो जाने की...
पर काश पूरी हो पाती तो... !
- महेश बारमाटे "माही"