मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

वो मेरे छत की मुंडेर पर बैठी कोयल...

वो मेरे छत की मुंडेर पर बैठी कोयल
हर रोज सुबह एक गाना गाती है ...
जाने क्या ग़म है उसे
या है कोई बड़ी ख़ुशी
जो वो मुझे सुनाना चाहती है ?

मैंने सुना था के
कोयल तो बस
आम के बागों में ही गाना गाती है।
पर फिर क्यों वो हर सुबह
मेरे ही छत पे कुछ गुनगुनाती है ?

यूँ तो सारी कोयलें, एक ही राग में गाना गाती हैं...
पर ये कुछ ख़ास है,
के ये तो हर रोज
अपना सुर, अपना राग
नहीं दोहराती है...।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

उसने कहा था...


उसने कहा था,
के जब कभी भी तुम लौटो वापस, तो मुझे याद करना...
किसी से कुछ मत कहना,
पर सब से पहले मुझसे ही तुम बात करना...