मैं बदल गया...
मैं बदल गया उसे बदलने के लिए,पर वो ही न बदला कभी, बस मेरे लिए...
मर गया मैं आज, उसकी ख़ुशी के लिए,
पर तब भी वो न आया मेरी, मय्यत के संग चलने के लिए...
हर ख़ुशी को उसके कदमों पे ला दिया,
उसके लिए खुद को एक कहानी बना दिया,
पर समय तक न निकाला कभी, मुझे पढने के लिए...
जिसने सिखाया था मुझे के "बदलाव ही जिंदगी है...",
आज वो ही मुझसे है कह रहा के
"चाहे लाख बदल जाना तुम, पर न बदलना कभी बस मेरे लिए..."
चार पल कि जिंदगानी के चारों पल, बिता दिए उसकी आशिकी के लिए,
और आज देखो,
दर पर खड़ा है वो मेरे,
मुझसे पाँचवा पल मांगने के लिए...
उसकी प्यास में भटकते रहे हम, इश्क के रेगिस्ताँ में,
और वो समझे, के हम निकले हैं बस, धूप सेंकने के लिए...
दिल निकाल के दे दिया हमने उन्हें,
और वो समझे के ये प्यार भरी चीज तो है बस खेलने के लिए...
मैं तो बस बदल गया...
उसकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी तलाश करने के लिए...
और उसे लगा के मैं बदल गया, बस एक खुदगर्ज़ इंसान बनने के लिए...
By...
Mahesh Barmate
17th March 2010
5:28 pm
Mahesh Barmate
17th March 2010
5:28 pm