लौट आओ पापा
जितना चाहा, उससे भी कहीं ज्यादा दे गए तुम मुझको...
पर इक पल में ही क्यों तन्हा, छोड़ गए तुम मुझको...
खो गई है आज मेरी हंसी, के बस आपके बगैर...
के जैसे खो गई हो मेरी ज़िन्दगी, के बस आपके बगैर...
अब तो बस कुछ यादें साथ हैं...
कभी जो दी थी नसीहत में आपने मुझे, बस वो बातें याद हैं...
तेरी गोद में गुजरी जो, सर्दी की वो गर्म रातें याद हैं...
मेरे जन्मदिन पर जो तुमने दी मुझको, वो सौगातें याद हैं...
के जन्म मिला है है तुमसे मुझे...
ज़िन्दगी से क्या शिकवा करूँ अब,
के बस एक गिला है तुमसे मुझे...
के यूँ ही छोड़ गए तुम तब मुझको,
जब मुझे बहुत तुम्हारी ज़रूरत थी...
पर कैसे करूँ गुस्सा भी मैं तुम पर,
के शायद खुदा को तुमसे, मुझसे भी ज्यादा मोहब्बत थी...
के ये दिल तुम्हे आज दिल से पुकार रहा है...
और देखो ना माँ के आँसू,
के हर एक कतरा इसका, आपका ही नाम पुकार रहा है...
हर पल याद करता है ये दिल तुमको...
के हमें आज भी आपका ही इंतज़ार है...
ऐ खुदा ! क्या तुम कहोगे ? "मेरे पापा" से मेरे लिए...
के मुझे उनसे आज भी बहुत प्यार है...
और उनका ऑफिस में ख़ुशी से मिठाइयाँ बँटवाना...
याद आता है मुझे,
उनका हर रात मुझे एक नई कहानी सुनाना...
आज भी ऐसा लगता है "पापा",
के तुम ऑफिस से अभी तक आए नहीं...
और जो वादा किया था ज़ल्दी आने का तुमने मुझसे,
वो भी अभी तक निभाए नहीं...
और रुक जाओ हमेशा के लिए मेरे पास,
के तुमको मैं न जाने के सौ नए बहाने दूँगा...
बस एक बार तो आ जाओ "पापा", के यहाँ सबको तुम्हारा इंतज़ार है...
कैसे करूँ मैं लफ़्जों में बयाँ, के इस दिल में तुम्हारे लिए कितना प्यार है...
By
Mahesh Barmate
23rd Sept. 2010
2:36 am