शुक्रवार, 16 मार्च 2018

क्यों तुम्हें हमेशा...


हर पल तेरा चेहरा

मेरे जेहन के समंदर में उतराता रहता है..

और तेरा ख्याल

जैसे हो कोई चाँद

डूब के मुझमें

गोते खाता रहता है..

तुम लाख चाहो के मुझे भुला दो

पर ये जो इश्क़ है न मेरा

तेरे दिल की बगिया में गुल

खिलाता रहता है।

यकीन न हो

तो तुम ही बता दो

क्यों तुम्हे भी हर हमेशा

मेरा ही ख्याल

आता रहता है..?

कहो..?

क्यों तुम्हें हमेशा...


- महेश बारमाटे "माही"


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