कभी किसी जनम में शायद
शायद पिछले ही जनम में शायद
तेरा मेरा कोई नाता रहा होगा
जिसे लिखना बाकि रह गया होगा
के हम दूर हो के भी पास हैं
दिल में, इक दूजे के एहसास है
आज चोट लगे तुझे
या बीमार मैं हो जाऊं
असर उस ओर भी होता है
रोये जो अंख तेरी
दिल मेरा भी रोता है
जो हो ख़ुशी का एहसास तुझे
अंख मेरी हंसती है
दिल की दीवार पे आज भी
तस्वीर तेरी ही जचती है।
बस ऐसी ही कुछ यादों के साथ
कुछ मनमानी बातों के साथ
दिल खुश हो लेता है
के कभी किसी जनम में शायद
शायद इसी जनम में शायद
तेरा मेरा कोई नाता रहा होगा
जो न पूरा हो सका
जो भी कुछ उसने लिखा होगा।
#महेश_बारमाटे_माही
14/02/17
8:44 am
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील जी
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