काश!
तुझसा कोई दूसरा पाना
इतना आसान होता।
जो हर सुबह मुझे
ख्वाबों में आकर
मुझे नींद से जागने न दे।
गर खुल भी जाए
नींद सुबह तो
ख्याल उसका
होंठों से मुस्कान भागने न दे।
तभी कॉल आये उसका
और गुड मॉर्निंग सुनाई दे
दिन भर हर जगह
उसका ही चेहरा दिखाई दे।
शाम को कॉल आये
और वो पूछे मुझे
कि आज कुछ नया लिखा क्या?
जिंदगी से अपनी
कुछ नया सीखा क्या?
रूठ के जो मुझसे
वो 3 - 4 कवितायेँ लिखवा ले।
और जबरन ही वो मुझसे
मेरे सारे राज़ खुलवा ले।
जो मेरी हर कविता को
सबसे पहले सुने, पढ़े और झूमे
और हर एक पुरानी कविता को मेरी
रक्खे याद और अपने लबों से चूमे।
कभी कभी यूँ रूठे
कि अपनी हर बात मनवा ले
पर न माने एक भी बात मेरी
और बेवजह ही मुझे
खरी - खोटी सुना दे।
और भी हैं ऐसी बहुत सी बातें तुझमे
जो किसी और में न मिलेंगी कभी
काश! तुम ये भी समझ पाते माही!
"मुझसा कोई दूसरा ढूंढ लो"
ये न तुम कभी कहते कभी..।
- महेश बारमाटे "माही"
तुझसा कोई दूसरा पाना
इतना आसान होता।
जो हर सुबह मुझे
ख्वाबों में आकर
मुझे नींद से जागने न दे।
गर खुल भी जाए
नींद सुबह तो
ख्याल उसका
होंठों से मुस्कान भागने न दे।
तभी कॉल आये उसका
और गुड मॉर्निंग सुनाई दे
दिन भर हर जगह
उसका ही चेहरा दिखाई दे।
शाम को कॉल आये
और वो पूछे मुझे
कि आज कुछ नया लिखा क्या?
जिंदगी से अपनी
कुछ नया सीखा क्या?
रूठ के जो मुझसे
वो 3 - 4 कवितायेँ लिखवा ले।
और जबरन ही वो मुझसे
मेरे सारे राज़ खुलवा ले।
जो मेरी हर कविता को
सबसे पहले सुने, पढ़े और झूमे
और हर एक पुरानी कविता को मेरी
रक्खे याद और अपने लबों से चूमे।
कभी कभी यूँ रूठे
कि अपनी हर बात मनवा ले
पर न माने एक भी बात मेरी
और बेवजह ही मुझे
खरी - खोटी सुना दे।
और भी हैं ऐसी बहुत सी बातें तुझमे
जो किसी और में न मिलेंगी कभी
काश! तुम ये भी समझ पाते माही!
"मुझसा कोई दूसरा ढूंढ लो"
ये न तुम कभी कहते कभी..।
- महेश बारमाटे "माही"
बहुत ही खूबसूरत कवितायें पढ़ने को मिली आभार भाई
जवाब देंहटाएं