लिखी थी कहानी तेरे नाम की
मुझमे थी ज़िंदगानी तेरे नाम की
हवा में ठंडक, फिजा में रंगत
और चुनरी थी धानी तेरे नाम की
गुलों में गुलाब, मयखाने में शराब
साकी भी थी दीवानी तेरे नाम की
पुकारता चला था मैं, हर गली, हर शहर
लबों पे थी कहानी तेरे नाम की
एक कहानी, तू पगली दीवानी
मेरी भी एक थी रानी तेरे नाम की
सूखी स्याही, पन्नों पे फैला अश्कों का पानी
खो गई मुझसे, ये ज़िंदगानी तेरे नाम की
अब जो जी रहा हूँ
तेरे इंतज़ार में माही!
आ पूरी करें
फिर ये कहानी तेरे नाम की
लिखी थी जो
कहानी तेरे नाम की
तुझ बिन अधूरी है
मेरी ज़िंदगानी तेरे नाम की...
- महेश बारमाटे “माही”
मुझमे थी ज़िंदगानी तेरे नाम की
हवा में ठंडक, फिजा में रंगत
और चुनरी थी धानी तेरे नाम की
गुलों में गुलाब, मयखाने में शराब
साकी भी थी दीवानी तेरे नाम की
पुकारता चला था मैं, हर गली, हर शहर
लबों पे थी कहानी तेरे नाम की
एक कहानी, तू पगली दीवानी
मेरी भी एक थी रानी तेरे नाम की
सूखी स्याही, पन्नों पे फैला अश्कों का पानी
खो गई मुझसे, ये ज़िंदगानी तेरे नाम की
अब जो जी रहा हूँ
तेरे इंतज़ार में माही!
आ पूरी करें
फिर ये कहानी तेरे नाम की
लिखी थी जो
कहानी तेरे नाम की
तुझ बिन अधूरी है
मेरी ज़िंदगानी तेरे नाम की...
- महेश बारमाटे “माही”
(Photo Courtesy : images.google.com)
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