सर्वप्रथम आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
चलो एक नया जहां बसाते हैं,
कहीं से थोड़ी सी जमीन ढूंढ के लाते हैं...।
प्यार की बरखा से, स्नेह के नए पुष्प खिलाते हैं,
स्वर्ग से भी बढ़ कर, चलो कोई जहाने-मुहब्बत बसाते हैं...।
चलो आसमां से तारों की, भस्म चुन के लाते हैं,
के आज इस धरती को, दुल्हन की तरह सजाते हैं...।
चलो एक नया जहां बसाते हैं...।
एक ऐसा जहां, जहाँ सरहदों का कोई अस्तित्व न हो...
और बैर, क्रोध, मोह - माया का भी, कोई मित्र न हो...।
न हो जहाँ कुछ भी कभी तेरा - मेरा,
आपसे भाईचारे से हो शुरू, हमारा हर सवेरा...।
बस मानवता के एक मात्र धर्म को,
अपने दिलों मे बसाते हैं...
ऐ मेरे माही !
चल एक नया जहां बसाते हैं...।
तोड़ के सारी दीवारों को,
अपनी सोच का दायरा बढ़ाते हैं...
के थम जाये जहाँ सोच तुम्हारी,
बस उतना ही बड़ा जहां बनाते हैं...।
छोड़ के आज अपने भाग्य का साथ,
चल आज कर्म को हम अपनाते हैं...
एक ईश्वर की परिभाषा को,
फिर लिख के दोहराते हैं...।
सुन ऐ नर, सुन ऐ नारी !
सुन ओ वन और वन्य प्राणी !
चलो मिल जुल कर हम,
एक सपना साकार बनाते हैं।
आज चुन कर एक नयी राह,
चलो एक नया जहां बसाते हैं...।
एक नया जहां बसाते हैं
एक नया जहां बसाते हैं...
- महेश बारमाटे "माही"
12th Aug 2011
भगवान आपकी इच्छा पूरी करे .........
जवाब देंहटाएं‘‘ये मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी
जवाब देंहटाएंजो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी’’
‘‘स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं...’’
वाह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
सार्थक प्रस्तुति .आभार .
जवाब देंहटाएंvirangna maina
सुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंसादर
बढ़िया प्रस्तुति............
जवाब देंहटाएंअनु
आज 11/06/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
महेश जी बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियों ..........
सुन ऐ नर, सुन ऐ नारी !
सुन ओ वन और वन्य प्राणी !
चलो मिल जुल कर हम,
एक सपना साकार बनाते हैं।
आज चुन कर एक नयी राह,
चलो एक नया जहां बसाते हैं...।
कितने सुन्दर भावों से सजाया है
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत सोच.....
जवाब देंहटाएंbahut badiya nek soch se bhari rachna..
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