मंगलवार, 12 जुलाई 2011

वह, उसकी यादें... और... मैं...

उसे क्यों याद करूँ जो कभी मेरी थी ही नहीं...
ऐ खुदा ! बस एक इल्तिजा है मेरी 
के खुश रखना सदा उसे जिसने मुझे खुश होना सिखाया 
जिसने मेरे गीतों को अपने होंठों से था लगाया 
और जिसने मेरे दिल को एक बार फिर धड़कना था सिखाया...

आज वो जहाँ भी है, शायद खुश है
तो क्यों उसे अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाऊं ?
ऐ चाँद ! जा तू उसे रातों को मीठी नींद में सुलाना...
ऐ फलक के तारों ! जाओ तुम उसका आँचल बन जाओ...

जाओ सारी खुशियाँ भर दो झोली में उसकी...
के मेरा जिक्र भी उसे छू न पाए...
मेरे अक्स की परछाई भी उसे याद न आये कभी...
के वो तो चली गई है बिना मुझसे कुछ कहे...
तो आखिर क्यों मैं उसे याद करूँ ?

और क्यों कहूं उसे आज मैं संगदिल 
जब दिल तो बस मैंने था उससे लगाया ?
उसके साथ बीते हर पल को अपनी आँखों में था बिठाया...
के शायद वही था मेरी ज़िन्दगी का सरमाया...

ऐ हवा जा उसके आँचल को सहला,
उसकी जुल्फों में कहीं खो जा
और बस इतना सा काम और कर,
के जब वो तनहा हो अगर...

तो मेरा नाम उसके कानों में जाके धीरे से कहना
देख के कहीं उसे चोट न लग जाये 
जरा प्यार से उसे अपनी बाहों में तुम लेना
और याद दिलाना के आज भी कोई है जो उसे याद करता है

कोई है जो आज भी उसकी तस्वीर को देख के गज़लें लिखा करता है...
आज भी वो मेरी कहानियों में शामिल सी दिखाई देती है...
आज भी कहानी के हर दृश्य में वो मेरी नायिका बन के इठलाती है
आज भी मैं उससे उतना ही प्यार करता हूँ 
और आज भी उसके दीदार का इंतज़ार करता हूँ...

वो मेरी ज़िन्दगी का हर लम्हा चुरा के ले गई
ऐ वक्त ! जरा उसे मेरी कमी महसूस मत करा 
के फूलों सी नाजुक है वो 
कहीं बिखर न जाए 
उसका ख्याल रख 
उसे मेरे दिल में बसा 

के याद नहीं करना उसे अब 
जिसे पाने की तमन्ना आज भी है 
वो दूर ही सही पर मुझे 
ऐ मेरे "माही"!
तुझसे मुहब्बत आज भी है ...

१२ जुलाई २०११ 
4:26 am

19 टिप्‍पणियां:

  1. प्यार भरे दिल की प्यारी सी कविता ........बहुत खूब

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  2. प्यार ही प्यार है यहाँ , सुंदर रचना

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  3. भाई क्या क्या कह डाला ?
    ख़ैर इस उम्र में इस तरह के जज़्बात नेचुरल हैं।
    टापकी दुआएं क़ुबूल हों, आमीन !!!

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  4. आपकी दुआएं आपके प्यारों के हक़ में क़ुबूल हों, आमीन !!!

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  5. दिल से लिखी हुई रचना। शानदार।

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  6. धन्यवाद आप सभी का... आपके प्रेम व स्नेह के कारण ही मेरी कविताओं में निखार आ रहा है... :)

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  7. मेरी एक फेसबुक दोस्त "सना" ने कहा -
    maahi bohut zabardast kavita thi padh ker mazaaa aagaya woh zaroor bohut khush naseeb hogi jisko tumney yeh kavita main ubhara hai bohut khoob !!!

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  8. कहतें हैं ... जब प्यार सच्चा हो तो मिलाने के लिए पूरी कायनात लग जाती है.....ईश्वर आपकी दुआ क़ुबूल करें..

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  9. वाह ! महेश जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !

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  10. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  11. कोई है जो आज भी उसकी तस्वीर को देख के गज़लें लिखा करता है...
    आज भी वो मेरी कहानियों में शामिल सी दिखाई देती है...
    आज भी कहानी के हर दृश्य में वो मेरी नायिका बन के इठलाती है
    आज भी मैं उससे उतना ही प्यार करता हूँ
    और आज भी उसके दीदार का इंतज़ार करता हूँ...
    bahut sundar bhavnatmak prastuti.

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  12. मेरे एक सबसे प्यारे मित्र "मनजीत" ने इस रचना को पढने के बाद कहा -
    not differnt in the poetry, but from your collection... really its different to read in your collection, i liked it

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  13. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया...
    आपके प्रोत्साहन के कारण ही आज ऐसा कुछ लिख पाया हूँ...
    :))

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