उसने कहा था,
के जब कभी भी तुम लौटो वापस, तो मुझे याद करना...
किसी से कुछ मत कहना,
पर सब से पहले मुझसे ही तुम बात करना...
उसने कहा था,
के हर बार, एक उपहार...
बस मेरे लिए उसमें भर के प्यार
तुम लाना...
मेरी याद में, कैसे कटे वो दिन...
और रातें, मेरे बिन...
ये सब कुछ मुझे
तुम बताना...
उसने कहा था,
के हर पल मुझसे तुम प्यार करना,
बस मेरा ही एतबार करना...
मेरे लिए ही जीना तुम
और मेरे लिए ही तुम मरना...
और भी कई ऐसी बातें,
कई वादे, कई इरादे
उसने चाहे थे मुझसे...
जिनमे से कुछ हुये पूरे,
और कुछ रह गए अधूरे,
वो वादे मुझसे...
आज वो मुझसे दूर है,
के दिल भी मेरा मजबूर है...
के गलती से किसी की
हमारा हर सपना
हुआ चूर चूर है...
फिर भी एक वादा,
मैंने आज चाहा था निभाना,
एक बार फिर उसे
ज़िंदगी में अपनी
वापस चाहा था लाना...
पर आज
उसने है मुझे भुला दिया
मेरी हर याद को उसने
अपने दिल से मिटा दिया...
एक दफा
उसने कहा था
के तुम्हें भूल जाना माही !
मेरी ज़िंदगी में न होगा कभी...
पर जाने कैसे...
उसने मुझे भुला दिया
बस...
अभी - अभी... ?
- इंजी॰ महेश बारमाटे "माही"
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