शनिवार, 18 दिसंबर 2010

वो चाँद सा मुखड़ा...



वो प्यारा सा मुखड़ा, 
जैसे चाँद का टुकड़ा...

आँखों में नींदें भरा,
अपने "Bag" को सिरहाना बना...

सो रही है वो, यूँ नींद की आगोश में, 
जैसे डूबी हो वो, किसी गहरी सोच में...

शायद कोई सपना, उसकी आँखों में पल रहा होगा,
या आने वाला कल, उसके दिलो - दिमाग में चल रहा होगा...

जाने किस सोच में डूबी होंगी आँखे उसकी,
या किसी अपने को सुनने के लिए तड़पती होंगी बातें उसकी...?

नींद में भी आँखे उसकी हैं शायद कुछ कह रहीं,
के आज वो मेरे मन मष्तिस्क को, इक स्वप्न परी सी है लग रही...

उसकी इस अदा ने मुझपे, जाने कैसा जादू ढाया है,
के देख के उसका चंचल मुखड़ा, आज मुझे कोई अपना याद आया है...

रुखसारों को चूमती उसकी जुल्फें,
चुरा रही हैं दिल मेरा चुपके - चुपके...

हाय ! कैसे सम्भालूँ अब अपने इस पागल दिल को,
के लगता है जैसे पा लिया हो, आज इस राही ने भी अपनी मंज़िल को...

नींद में उसका यूँ मुस्कुराना,
जैसे सुहाग की सेज पर, दुल्हन का शर्माना...

ज़ालिम हर अदा ने उसकी, ऐसा ज़ुल्म मुझपे ढाया है,
के आज एक मेनका ने फिर, किसी विश्वामित्र का दिल पिघलाया है...

ये दुआ कर रहे थे हम,
के दिल की बातों को अब ले वो सुन...

और देखो दुआ मेरी अब पूरी होती नज़र आई है,
पलकों ने उसकी देखो ली अभी - अभी अंगड़ाई है...

आह ! मेरी सोच से भी परे,
नयन हैं उसके नीले नीले...

नीले नयनो की कमान से, उसने ऐसा बाण चलाया है,
 के एक ही वार में उसने, ये तीर - ए - नज़र सीधा दिल के आर - पार पहुँचाया है...

वो कर के घायल हमको, फिर खो गयी नींद की आगोश में,
और दिल देकर भी, अब हम न रहे होश में...

नींद में उसका यूँ मुस्काना,
लगता है जैसे अपनी जीत पर उसका इतराना...
खुदा कसम, मार डालेगा अब मुझे, 
उसका यूँ चहरे से अपनी जुल्फें हटाना...

वो तो सो गई, बस एक प्यारी सी मुस्कान देकर,
अब जाने कैसे कटेगा ये सफ़र मेरा, दिलो - जाँ खोकर...

अब तो खुदा से बस यही दुआ करता है दिल मेरा, "माही"...
के लूटा है जिसने चैनो - करार इस दिल का,
बस वही बने अब मेरी जिंदगी के सफ़र का हमराही...

महेश बारमाटे "माही"
12th Dec. 2010

4 टिप्‍पणियां:

  1. maahi phiker mat ker tujhey ek din yeh haseena kahin na kahin mil hi jaaegi tuh bas yunhi likhta jaa woh bhi ek na ek din isko pedh hi jaegi :D

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  2. wonderful, touching and reminding me a fairy tale. nice work frnd, keep on going.
    Best of luck and happy new year!

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  3. धन्यवाद सना और मंजीत जी !

    जैसा कि मैंने आप लोगों को पहले बता चुका हूँ कि यह कविता थोड़ी सी सच्चाई को अतिशयोक्ति के साथ लिखने के बाद ही साकार हो पायी है।
    पर आप दोनों के कमेंट ने मेरी इस रचना को सार्थक बना दिया...।

    :)

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