PaPa...
तुमसे मैंने न चाहा था, कुछ पाना,
पर तुम बहुत कुछ दे गए...
तुमको न चाहा था, मैंने कभी खोना,
पर न जाने तुम कहाँ खो गए ?
आज ढूंढता हूँ, मैं तुम्हे यहाँ - वहाँ,
पर न जाने छुप गए हो तुम कहाँ ?
एक बार तो बता देते तुम,
तो मैं तुम्हे न जाने देता कभी...
मेरे दिल कि बात, दिल में ही रह गयी,
के "प्यार तुमसे, मैं भी करता हूँ....
पर तुम बहुत कुछ दे गए...
तुमको न चाहा था, मैंने कभी खोना,
पर न जाने तुम कहाँ खो गए ?
आज ढूंढता हूँ, मैं तुम्हे यहाँ - वहाँ,
पर न जाने छुप गए हो तुम कहाँ ?
एक बार तो बता देते तुम,
तो मैं तुम्हे न जाने देता कभी...
मेरे दिल कि बात, दिल में ही रह गयी,
के "प्यार तुमसे, मैं भी करता हूँ....
ये जाना था मैंने, बस अभी - अभी..."
By
Mahesh Barmate
28th Apr 2007
12:15 am
(This Poem is Dedicated to My Father Late Mr. C. D. Barmate)
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Mahesh Barmate
28th Apr 2007
12:15 am
(This Poem is Dedicated to My Father Late Mr. C. D. Barmate)
Nice poem .
जवाब देंहटाएंअब एक सवाल हमारा है। जिसे हल करना बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है।
क्या आप जानते हैं कि कोई आया या नहीं आया लेकिन ब्लॉगर्स मीट वीकली का आयोजन बेहद सफल रहा ?
bahut himarmik aur hraday sparshi rachna .............
जवाब देंहटाएंaabhar