क्यों ?
किसने था कभी चाहा मुझको,
अतीत में मेरे कोई नहीं जिसने कभी था सराहा मुझको...
डूब रहा था चुपचाप ही अपनी ही तन्हाइयों में,
आखिर क्यों आज तुमने बचाया मुझको ?
मेरी ज़िन्दगी का नासूर,
जब खुशियाँ देने लगा था मुझको,
खुश था शायद बहुत मैं अपने हाल से,
फिर क्यों दर्द-ए-दिल तमने दिया मुझको ?
मैं तो भूल चूका था चाहत का हर रास्ता शायद,
फिर तेरा प्यार क्यों इसी रास्ते पर फिर ले आया मुझको?
गर लुट चूका था हर राही तेरी मन्जिल का,
तो फिर क्यों तुमने अपना माही बनाया मुझको ?
महेश बारमाटे - माही
5th Oct 2010

अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
जवाब देंहटाएंइसे पढ़े और अपने विचार दे :-
कुछ अनसुलझे रहस्य ...१
bahut achha likhte hain aap...continue pls.
जवाब देंहटाएंबहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
Kya baat hai maahi too guud :D
जवाब देंहटाएंnice thoughts,,,, i like it.. and ...feel it..
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