बुधवार, 28 जुलाई 2010

तेरी याद

तेरी याद 

तुम मुझे अब याद नहीं करती,
अपने दिल से अब मेरी बात भी नहीं करती...
शायद ज़िन्दगी में तुम्हारी, अब कोई और आ गया है,
इसीलिए अब तुम मुझसे बात नहीं करती...


तुमको तो पता है के जब तेरा दिल मुझे याद करता है,
तब वो मेरे दिल से बस तेरी ही बात करता है...
पर अब तो ये आलम है के तू अब मेरी यादों पे हाथ तक नहीं फेरती...


जानता हूँ के तुम मुझसे प्यार नहीं करती,
और शायद इस दोस्त का इंतज़ार भी नहीं करती...
पर क्या हुआ तेरे उन वादों का,
जिनके बगैर शायद न कभी मेरी ज़िन्दगी नहीं सँवरती...


कहते हैं - दोस्ती और प्यार का इम्तिहान एक जैसा होता है,
मुसीबत के वक़्त किया गया हर एहसान एक जैसा होता है...
आज जकड़ा गया है मुसाफिर, वक़्त की जंजीरों में फँसकर,
और एक तू है जिसने साथ चलने का वादा तो किया,
पर मुझे इस कैद से फ़रार नहीं करती...


जी करता है के आज तुझे कोई बददुआ दे दूँ,
फिर भी दिल में मेरे, तेरी ख़ातिर बस दुआएँ ही भरी हैं...
और गर दूँ भी तो कैसे दूँ तुझे मैं बददुआ कोई,
क्योंकि मेरी किस्मत कभी मेरी बददुआ किसी के लिए भी स्वीकार नहीं करती...


शायद तेरा मेरा साथ बस यहीं पे ख़त्म होना था...
मुझे आज नहीं तो कल तुझसे शायद ज़रूर जुदा होना था...
अब तो बस याद आयेंगे वो पल,
जब दूर होके भी तू मेरे करीब थी हर पल,
वो भी क्या दिन थे, जब तू मेरी किसी बात के लिए इन्कार नहीं थी करती...


आज बस यही दुआ है मेरी के तू खुश रहे सदा...
गर मिलती है हर ख़ुशी तुझे, होकर मुझसे जुदा...
आज आँखे मेरी, तेरी सदा सलामती की हैं दुआ करती,
क्योंकि गर मर भी जाऊं मैं, तो भी ऐ दोस्त ! दुनिया में दोस्ती कभी नहीं मरती...

महेश बारमाटे
27th July 2010

सोमवार, 19 जुलाई 2010

नज़र

नज़र

कर दी दिल कि सारी सच्चाई बयाँ उन्हें,
पर मेरा वो अंदाजे - बयाँ, उन को मेरा रोना नज़र आया...


गर कभी तन्हाइयों में खोया, मैं उनकी याद में,
तो दुनिया को वो मेरा बेवजह सोना नज़र आया...


जिस पे कर दिया दिलो - जाँ निसार,
उसको तो दिल मेरा खिलौना नज़र आया...


वो रूठा मुझसे हर बार और मैं मनाता चला गया ...
क्योंकि मेरा सनम हर बार बहुत शोना नज़र आया...


उसे पा के मैंने जो उसके गमो को अपनाया,
तो लोगों को वो मेरा चैनो - सुकून खोना नज़र आया...


जिसे देखा था मैंने बस एक बार और कर बैठा मैं उससे प्यार, 
आज जब ढूँढा उसे इश्क के गुलिस्ताँ में, तो हर कली में मुझे मेरा माही - मेरा शोना नज़र आया...


डर गया मैं छूने से उसको, के कहीं उस नाजुक कली को कोई चोट ना लग जाए,
और दुनिया को वो उसका मुझे काँटा चुभोना नज़र आया...


छूट गया वो जाने कैसे मेरे हाथों से,
फिर भी मैंने जो संभाला उसे तो उन्हें ये मेरा जान बूझ कर उन्हें खोना नज़र आया...


वो क्या जाने के हमने उनको खो के जाने क्या पाया है,
उनकी यादों को सीने में रख के अपना ये दिल मैंने गंवाया है...
धड़क रही हैं आज भी यादें उनकी, सीने में मेरे धड़कन की तरह,
और सबको ये मेरा कब्र में भी कराहता हुआ होना नज़र आया...


आज दुनिया वाले उन्हें मेरे सामने "बेवफा", कह के बुलाते हैं,
रोज मेरी कब्र पर आके मुझे मौत की नींद सुलाते हैं...
ये तो मेरा दिल ही जानता है के क्या मज़बूरी थी मेरे यार की,
पर शायद मेरी बेवफाई से जो निकले थे उसके आँसू, वो इस खुदगर्ज़ जहाँ को बस एक खिलौना नज़र आया 


बेवफा तो मैं था जो उनसे प्यार कर बैठा,
कुसूर बस इतना था के इस दिल पे ऐतबार कर बैठा...
आज कह के उन्हें बेवफा, क्यूँ अपनी मोहब्बत को बदनाम करूँ,
मुझे इस दुनिया की क्या परवाह, 
जिसे उन्हें खो के भी अपनी यादों में बसा लेना बस मेरा खोना नज़र आया...


आज आँखें बंद होकर भी मुझे तो, वो ही मेरा माही...
और वो ही मेरा शोना नज़र आया....

महेश बारमाटे
13 July 2010

रविवार, 18 जुलाई 2010

तेरी ख़ुशी के लिए..

तेरी ख़ुशी के लिए...

जब तुम मेरे करीब आए...
तब अपनी हंसी मैंने दे दी तुझे, सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...
तू ने चाहा, तो अपनी हर ख़ुशी दे दी तुझे, सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

तू ने जो माँगी एक नज़र,
तो ये आँखें ही कर दी तुझ पे न्योछावर, सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

जब तू मेरी जाँ बन गई,
तो सारी जिंदगी दे दी तुझे, सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

दिन का चैन और रातों का करार,
सब कर दिया मैंने, तेरी ही खुशियों पे निसार...
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

जो कुछ चाहा तुमने, हर वो ख़ुशी ला के दी मैंने,
तू ने कहा था के मुझसे तू आएगी एक बार फिर मिलने...
और कर के मैंने तुझ पर ऐतबार, किया बरसों बस तेरा इंतजार...
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

एक दिन जब तू ने चाही मुझसे दूरियाँ...
वो भी दे दी मैंने तुझे, बस तेरी ख़ुशी के लिए...
और तू ने कहा जो के "न याद रखना कभी हमें"
तब वो भी माना मैंने... बस तेरी ख़ुशी के लिए...

अब जब तू नहीं थी मेरे पास,
तब भी लिखता रहा मैं... सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...
तुझसे दूर होकर भी,
तुझसे ही प्यार करता रहा मैं... सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

तू ने माँगी जब मुझसे मेरी नफ़रत,
वो भी दे दी मैंने तुझे, भूल  के अपनी सारी मुहब्बत...
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

पर आज देखो, ये वक़्त भी क्या नसीब लाया है...
आज एक बार फिर मैंने तुझे, अपने करीब पाया है...

और छुपा रहा हूँ आज, तुझसे अपनी आँखें नम...
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...
चाहता हूँ के भूल जाएँ अब, हम अपने सारे रंजो-गम,
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

पर आज भी न समझ पाया मैं तुझे,
के आज पास आकर भी, क्यों चाहिए फिर दूरी तुझे ?
क्या आज भी न मिलेगी, कोई प्यारी ख़ुशी मुझे,
जो ये दिल फिर से नहीं कर पा रहा है नाउम्मीद  तुझे ?
अब जो भी हो, ये तो है, बस तेरी ख़ुशी के लिए...

न जाने क्यों तेरे दिल में अब भी एक कसक बाकि है,
के मैंने जो कुछ भी किया, वो अब भी तेरे लिए नाकाफ़ी है ?

और माँग रही है तू एक और ख़ुशी मुझसे,
शायद इस बार मेरी ख़ुशी के लिए...
और वो भी न जाने क्यों दे रहा हूँ मैं तुझे,
सिर्फ तेरी ख़ुशी के लिए...

माना के ये दिल, आज भी तेरे प्यार के नाकाबिल है,
पर आज भी मेरी हर ख़ुशी तेरी ही खुशियों में शामिल है...

इसीलिए आज फिर वही कर रहा हूँ मैं, जो माँगा है तू ने मुझसे...
क्या हुआ जो आज हम साथ नहीं, मैंने तो हर पल प्यार किया है तुझसे...

और आज जा रहा हूँ छोड़ कर ये जहाँ,
बस तेरी एक तेरी ख़ुशी के लिए...

महेश बारमाटे 
12th July 2010
12:15 pm

सोमवार, 5 जुलाई 2010

"एहसास"

"एहसास"


किसके लिए रोऊँ और क्यों आँसू बहाऊँ ?
आखिर कौन है यहाँ मेरा अपना, जिसकी खातिर आज हर गली रोता गाऊँ ?

मेरी किसी ख़ुशी में तो कोई, साथ न था कभी मेरे, गम तो बहुत दूर की बात है,
तन्हा ही आया था कभी मैं इस जहाँ में और आज भी वही तन्हा अँधेरी रात है... |

जो चाहा वो मिला मुझको और जिसे चाहा वो तो बस एक ख्वाब है...
फिर भी लोग कहते हैं - "ऐ महेश ! तू तो अरबों तारों के बीच एक आफ़ताब है "...

पर ये नासमझ लोग क्या जानें, के जो दीखता है वो तो बस एक ख्वाब है...
जिसे चाँद कहा है लोगों ने आज, उसके पीछे भी हमेशा एक काली अँधेरी रात है...

उसी रात की तन्हाई ने मुझसे, आज मेरा हर गम छीन लिया,
मेरी खुशियाँ, मेरा वजूद और मुझसे मेरा, प्यार भरा मौसम छीन लिया...

अब जब कोई भी नहीं है मेरे पास में, 
तो अब आँसू बहाऊँ मैं किसकी आश में ?
जी रहा हूँ मैं तो अब बस इसी विश्वास में, 
के यकीन करेगा ये जहाँ भी एक दिन... मेरे "एहसास" में... 

By...
The Unrealistic...
माही... (महेश बारमाटे)
3rd July 2010