बुधवार, 22 जुलाई 2020

हाँ! यही तो प्यार है..




मेरी लिखावटों के पीछे
दरार है
मेरी लिखावटों के पीछे 
दरार है
हाथ काँपते हैं मेरे
तेरा नाम लिखने से
हाँ! यही तो प्यार है।

तुझसे छुपाया नहीं जाता
मुझसे बताया नहीं जाता
आँख बंद करके भी हो जाये
ये कैसा दीदार है..?
हाँ! यही तो प्यार है।

दर-ओ-दीवार-ए-दिल पे तेरी तस्वीर
जो लगा रखी है
इल्तिज़ा लोगों की आती है 
कि एक बार तो पर्दा उठे।
मैं न कर देता हूँ सबसे
तुझसे जो मेरा इक़रार है।
हाँ! यही तो प्यार है।

किताबों के बीच में
गुलाबों सा सजाया है तुझे
करके सजदा हजारों दफा
अपना बनाया है तुझे
किताबी सा नहीं माही!
मेरी रूह का ये इज़हार है
हाँ! मुझे तुमसे प्यार है।

- महेश "माही"

शनिवार, 4 जुलाई 2020

वो पक्के रंग वाला लड़का



वो पक्के रंग वाला लड़का
लोग उसे काला
तो कभी सांवला कहते थे।

गोरा होना उसके बस में न था कभी
बस अपने रंग में ढल जाना
खुद को बुरा न मानकर
बस खुद को अपनाना
ही था उसके बस में।

और फिर 
उसने किसी गोरे को गोरा कहकर
नीचा नहीं दिखाया
पर उसका रंग
जाने क्यों गोरे लोगों को कमतर लगता ?

आज उसके पक्के रंग की तरह
उसका निश्चय भी पक्का है
कि गोरा रंग तो धूप में ढल जाएगा
क्योंकि वो कच्चा है।
और पक्का रंग 
छूटता नहीं कभी
वो और पक्का होता जाता है।

समय और प्रकृति कभी
कोई भेद नहीं करती।
फिर ये भेद कहाँ से आया।
क्यों एक पुराने गाने में
राधा को गोरी, और कृष्ण को काला बताया
क्यों कृष्ण ने खुद को
खुद से ही कमतर जताया..?

हाँ! वो पक्के रंग वाला लड़का
कई कच्चे रंग वालों से
बेहद अच्छा है।
क्योंकि
खुद को कमतर न समझने वाला वो लड़का
आज सबसे सच्चा है।

- महेश "माही"