जो कभी न सोचा था, वही हो गया हूँ मैं...
लेखक बनने की तमन्ना थी, पर कवि हो गया हूँ मैं...
कुछ सोचते - सोचते, कहीं खो गया हूँ मैं...
चाँद छूने की तमन्ना थी, पर रवि हो गया हूँ मैं...
ज़िन्दगी में कुछ पाने की तमन्ना सबकी होती है,
और संसार में हर किसी की किस्मत कभी जागती, कभी सोती है...
मैंने भी अपनी सोती किस्मत को जगाना चाहा,
आसमाँ से एक तारा तोड़कर, अपना घर भी सजाना चाहा...
इसीलिए लिखने की मैंने भी शुरुआत कर ली...
मंजिल को पाने के लिए, अपनी किस्मत से मैंने भी मुलाकात कर ली...
पर जब किस्मत ने न मानी मेरी बात,
के मैं करूँगा मेहनत, अब चाहे दिन हो या रात,
बन के दिखाऊंगा, कवि और लेखक एक साथ...
इसलिए आज किसी की नज़र में हूँ मैं लेखक,
तो किसी के लिए कवि हो गया हूँ मैं...
अपने चाहने वालों के मन में,
सुनहरी छवि हो गया हूँ मैं...
बनना चाहता था मैं लेखक,
और साथ में कवि हो गया हूँ मैं...
चाँद छूने की तमन्ना थी, पर रवि हो गया हूँ मैं...
जो कभी न सोचा था, वही हो गया हूँ मैं...
कवि हो गया हूँ मैं...
कवि हो गया हूँ मैं...
By
Mahesh Barmate (माही)
21st Aug. 2007
ooh woww love it...bt u may be kavi ....bt 4me ur my best buddy.....hope u rite lke dis fantastc poems ....waitng 4 nxt 1...:)) AmU~(<3)
जवाब देंहटाएंek electrical engineer kavi ho gaya hai...vaah.
जवाब देंहटाएंnice one hope u write more poems like this
जवाब देंहटाएंangel
Thank u AMU, Arvind And Angel...
जवाब देंहटाएंamazin poetry maahi keep up the gud wrk may god almighty give u success in evry walk of like :D
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