सोमवार, 19 सितंबर 2022
महफ़िल में...
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अब जो आ गए हो महफ़िल में हमारी एक नज़र खुल के हमसे बात कर लीजिये। अजी! हमसे ऐसी क्या ख़ता हो गई क़रीब आ के बता दीजिए। सुना है ये रुसवाईयाँ गए ज़म...
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रविवार, 18 सितंबर 2022
मेरा देश बदल रहा है..
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मेरे देश में अब सब बदल रहा है देखो न पर ये बदलाव क्यों खल रहा है..? जिसे देश ने अपनाया था आज बिक रहा है रसूखों की थाली में सरकारी कबाब सिक र...
मंगलवार, 13 जुलाई 2021
कुछ तो हुआ..
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गुजरती रात को दिन का सलाम मालूम हुआ हवा का झोंका कुछ यूं गुजरा जैसे तुम्हारे दुपट्टे ने हो मुझे छुआ...। लोग बात करते हैं तेरी मेरे बहाने से...
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रविवार, 20 जून 2021
मुझे बेवफा न समझ..
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तेरी सोच का मैं गुमान हूँ मुझे इश्क़ की बहार न समझ। मैं मजबूरियों में जो चला गया मुझे बेवफा न समझ। किसी दिन वापस आऊँगा मुझे कल की...
बुधवार, 16 जून 2021
मेरे शहर की खिड़कियाँ
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मेरे शहर की खिड़कियाँ अब जंगलों में सिमट रही हैं रौशनी का पता नहीं है और ऑक्सीजन की भी कमी है। सुना है कोई बड़ी बीमारी आई है मैंने नन्हें कंधो...
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शनिवार, 1 अगस्त 2020
वो, महफ़िल और इश्क़
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मैंने कुछ कहानियाँ गढ़ीं कुछ किस्से कहे वो शामिल थे मुझमें वो सुनते रहे। वो दूर बैठे थे महफ़िल में तमाशबीन बन कर सीने से लगने को ज...
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बुधवार, 22 जुलाई 2020
हाँ! यही तो प्यार है..
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मेरी लिखावटों के पीछे दरार है मेरी लिखावटों के पीछे दरार है हाथ काँपते हैं मेरे तेरा नाम लिखने से हाँ! यही तो प्यार है। तुझसे छुपाया नहीं ज...
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शनिवार, 4 जुलाई 2020
वो पक्के रंग वाला लड़का
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वो पक्के रंग वाला लड़का लोग उसे काला तो कभी सांवला कहते थे। गोरा होना उसके बस में न था कभी बस अपने रंग में ढल जाना खुद को बुरा न मानकर बस खुद...
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