तन्हा ही आए थे, तन्हा ही जायेंगे,
इक मुलाकात का किया था जो वादा हमने,
मरने से पहले वो हर वादा निभा जायेंगे...
तुम इंतज़ार न करना हमारा,
हम मिलने जरूर आयेंगे...
देखे थे ख्वाब हमारी मुलाकात के जो तुमने,
हर वो ख्वाब हम पूरा करते जायेंगे...
रुक जायेगा वक्त, जब हम तुमसे मिलने आएँगे,
अपनी जुदाई के सारे मंज़र,
मेरे वादे के सामने थमते जायेंगे...
तब न रोक पाएगा कोई रकीब भी हमको,
जब हम तेरा दीदार करने आएँगे...
बस मेरी बात पर ऐतबार रखना "माही",
के तुझको रुसवा न किया है कभी हमने,
और न कभी हम ऐसा कर पाएंगे...
By
महेश बारमाटे - "
माही"
18th Nov. 2010
very nice poetry maahi too gud ....
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