शनिवार, 26 जनवरी 2013

प्यार या इमोशनल अत्याचार... ?


इस तकनिकी दुनिया ने रिश्तों की एहमियत भुला दी है, बस 4 दिन की चैटिंग, 4-5 फोन कॉल्स में ही आज कल प्यार हो जाता है और फिर यूँही दिल भी टूट जाता है, बस इसी कहानी को बयां मेरी ये कविता -

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

प्यास... तेरा माही हो जाने की...

हर रात
तुम होती हो, बस मेरे साथ...
मेरे ख्वाबों में,
ख्यालों में...
नींदों में,
और कुछ अनसुलझे सवालों में...